भारत में ऊर्जा बढ़ोत्तरी अलस्टर के लिए एक चुनौती : प्रो. जिम बेरी
पिंजौर , 5 जून (निस)। इंस्टीच्यूट फार स्पेच्यूल प्लानिंग एंड एनवायरनमेंट रिर्सच (इस्पर) अमरावती में ऊर्जा स्रोतों का कम दोहन कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए एक दिवसीय अंतराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें बिल्ट एन्वायरनमेंट रिर्सच इंस्टीच्यूट यूनिवर्सिटी ऑफ अलस्टर ब्रिटेन के प्रोफेसरों ने भी भाग लिया।
इंगलैंड की अलस्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर जिम बेरी ने बताया कि उत्तरी आयरलैंड में ऊर्जा स्रोतों पर अनुसंधान करने के बाद भारत जैसे विकासशील देश के साथ गत जनवरी माह में किए गए करार अलस्टर के लिए चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि लोगों को परिवहन की बढ़ती जरूरतों के साथ-साथ ऊर्जा के स्रोतों पर कम निर्भर रहने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है क्योंकि लोगों को दी जाने वाली सुविधाओं को भी कम नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें हरित शहर बनाने के लिए पुराने शहरी करण के तरीकों में बदलाव लाना होगा। जिम बेरी के साथ अलस्टर यूनिवर्सिटी से आए डा. अनिल कश्यप ने भी उपस्थित वैज्ञानिकों और पर्यावरण प्रेमियों को संबोधित किया। उन्होंने ऊर्जा उत्पादन में ईधन को पुन: प्रयोग करने पर बल दिया और हरित शहर बसाने की योजना के तहत टाईटेनिक सिग्नेचर प्रोजैक्ट नामक एक फिल्म भी दिखाई । इससे पूर्व मुख्य इंजीनियर आर एन मलिक ने प्रति वर्ष 2 प्रतिशत से बढ़ती हुई आबादी के लिए आगामी 50 वर्षों में ऊर्जा की खपत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब विश्व की आबादी दोगुनी हो जाएगी तब स्थिति विस्फोटक हो सकती है। और हमें ऊर्जा देने वाले स्रोत समाप्त हो जाएंगे इसलिए सदा उपलब्ध रहने वाले स्रोत सूर्य किरणों का प्रयोग करना उचित रहेगा। कार्यशाला को इस्पर अध्यक्ष आर सी अग्रवाल, सचिव कुंवर सुरजीत सिंह, प्रोफैसर मनजीत सिंह, ईस्पर निदेशक टीएस पुरी सहित जसवंत सिंह ने भी संबोधित करते हुए ऊर्जा स्रोतों पर अपने विचार रखे।